Saturday, December 8, 2018

कैसे मिली अमिताभ बच्‍चन को पहली फिल्‍म ?

कैसे मिली अमिताभ बच्‍चन को पहली फिल्‍म ?

Amitabh Bachchan First Movie – अमिताभ बच्चन का जन्‍म 11 अक्‍टूबर 1942 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के एक हिंदू परिवार में हुआ था, जिनके पिता डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन काफी प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन कराची के सिख परिवार से थीं और जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी से इनके घरेलु सम्‍बंध थे।

बचपन में अमिताभ का नाम इंकलाब रखा गया था लेकिन बाद में इसे फिर से अमिताभ कर दिया गया जिसका अर्थ “ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा” होता है। हालांकि अमिताभ का अंतिम नाम श्रीवास्तव था फिर भी इनके पिता ने इस उपनाम को अपनी कृतियों को प्रकाशित करने वाले बच्चन नाम से उद्धृत किया। यह उनका अंतिम नाम ही है जो अब उनके परिवार के समस्त सदस्यों का उपनाम बन गया है।
अमिताभ ने अपनी फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1969 में ‘सात हिन्दुस्तानी‘ नाम की फिल्‍म से की थी और कहा जाता है कि ये फिल्‍म उन्हें अपने दोस्त राजीव गाँधी की बदौलत मिली, जिन्होंने अमिताभ को इंदिरा गाँधी का सिफारशी ख़त दिलवाया था।
अमिताभ बच्‍चन की माँ तेजी बच्‍चन, इन्दिरा गांधी की अच्‍छी सहेली थीं जिसकी वजह से उनका इन्दिरा गांधी के आवास स्‍थान पर बेहिचक आना-जाना होता रहता था, जहां तेजी बच्‍चन अक्‍सर अपने बड़े बेटे अमिताभ बच्‍चन को अपने साथ ले जाया करती थीं। फलस्‍वरूप हमउम्र होने की वजह से अमिताभ बच्‍चन व राजीव गांधी में गहरी मित्रता थी।
जबकि अमिताभ बच्‍चन को अपनी पहली फिल्‍म मिलने से पहले उन्‍होंने अपनी बेरोजगारी के चलते ऑल इंडिया रेडियो में समाचार उद्घोषक, नामक पद हेतु नौकरी के लिए आवेदन किया, जिसके लिए उन्हें अपनी भारी आवाज़ और सांवले रंग की वजह से इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
हालांकि अमिताभ बच्‍चन की पहली फिल्म कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पायी थी लेकिन फिर भी इस फिल्‍म के लिए अमिताभ बच्‍चन को नवांगतुक अभिनेता के रूप में पहला राष्ट्रीय पुरस्कार जरूर मिला था।
हालांकि अमिताभ बच्‍चन ने फिल्‍म सात हिन्‍दुस्‍तानी से अपने Acting Career की शुरूआत की थी, लेकिन 1969 में सात हिन्‍दुस्‍तानी फिल्‍म से पहले वे मृणाल सेन की Bhuvan Shome फिल्‍म में एक Voice Narrator के रूप में काम कर चुके थे।

अमिताभ बच्‍चन का फिल्‍मी सफर

  • सात हिन्‍दुस्‍तानी, अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म थी।
  • सात हिन्‍दुस्‍तानी फ़िल्म के लिए अमिताभ बच्‍चन को सर्वश्रेष्ठ New Comer (नवागंतुक) का पुरूस्कार मिला था जो कि उन्‍हें मिलने वाला पहला Award था।
  • अमिताभ बच्‍चन की पहली तन्‍ख्‍वाह मात्र 500 रूपए थी।
  • अमिताभ बच्‍चन ने अपनी पहली गाडी के रूप में एक Second Hand Car खरीदी थी।
  • आनंद (1971) नामक फिल्म में अमिताभ बच्‍चन ने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना के साथ काम किया जिसके लिए उन्‍हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार (Supporting Actor) का पहला फिल्मफेयर Award मिला।
  • रेशमा और शेरा में गूँगे अमिताभ का विवाह वहीदा रहमान से कराया गया था और यह अमिताभ का पहला फिल्मी विवाह था।
  • फ़िल्म जंजीर (1973) अमिताभ बच्‍चन को एक जबरदस्त फिल्‍म अभिनेता के रूप में स्‍थापित करने वाली पहली फिल्म थी, जिसके लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्‍ठ पुरूष कलाकार फिल्मफेयर पुरस्कार (Male Actor Filmfare Award) के लिए मनोनीत किया गया था।
  • 1974 की सबसे बड़ी फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में अमिताभ बच्‍चन ने पहली बार एक मेहमान कलाकार (Guest Appearance) की भूमिका निभाई थी।
  • 1975 में यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म दीवार में मुख्‍य कलाकार के रूप में पहली बार यश चोपडा़ के साथ काम किया, जिसके लिए अमिताभ बच्‍चन को इंडियाटाइम्स की मूवियों में बॉलीवुड की हर हाल में देखने योग्य शीर्ष 25 फिल्मों में स्‍थान मिला।
  • 1977 में अमिताभ बच्‍चन ने फिल्‍म अमर अकबर ऐन्‍थाेनी के लिए पहला Best Actor Filmfare Award पाया था।
  • 15 अगस्त, 1975 को रिलीज शोले भारत में किसी भी समय की सबसे ज्यादा आय अर्जित करने वाली फिल्‍म है, जिसमें अमिताभ बच्‍चन ने मुख्‍य भूमिका निभाई थी।
  • 1999 में BBC India ने शोले को शताब्दी की फिल्म (Film of the Century) का नाम दिया और दीवार की तरह इसे इंडियाटाइम्‍ज़ मूवियों में बालीवुड की शीर्ष 25 फिल्‍मों में शामिल किया।
  • 1999 में ही 50 वें वार्षिक फिल्म फेयर पुरस्कार के निर्णायकों ने शोले को एक विशेष पुरस्कार दिया जिसका नाम 50 सालों की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म फिल्मफेयर पुरूस्कार (Best Film of the Last 50 Years Filmfare Award) था।
  • 1978 अमिताभ बच्‍चन के जीवन का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण वर्ष था जिसके दौरान भारत में उस समय की सबसे अधिक आय अर्जित करने वाली चारों फिल्मों में इन्होंने स्टार कलाकार की भूमिका निभाई थी।
  • 1979 में अमिताभ ने मि० नटवरलाल फिल्म के लिए पहली बार अपनी आवाज में गीत गाया ।
  • मि० नटवरलाल फिल्म के लिए ही पहली बार अमिताभ बच्‍चन को पुरुष पार्श्‍वगायक (Best Male Playback Singer) का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार मिला।
  • 1982 के दौरान कूली की शूटिंग के समय अमिताभ बच्‍चन को दर्दनाक चोट लगी, जिससे उबरने में उन्‍हें महीनों लगे। कहा जाता है कि इस चोट से अमिताभ बच्‍चन कुछ समय के लिए Medically Dead हो गए थे।
  • 1985 में अमिताभ बच्चन राजीव गांधी के सहयोग से राजनीति में गए लेकिन तीन साल की छोटी सी लेकिन असफल राजनीतिक अवधि के बाद फिर से फिल्मों में वापस लौटे।
  • अमिताभ बच्‍चन की फिल्‍म ‘खुदा गवाह‘ अफगानिस्तान के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी हिट फिल्म है, जिसकी काफी Shooting अफगानिस्‍तान में ही हुई थी।
  • वर्ष 2000 में अमिताभ बच्चन ने पहली बार टेलीविजन शो कौन बनेगा करोड़पति में काम किया।
  • रितुपर्णा घोष की फिल्म द लास्ट ईयर (The Last Lear) का वर्ष 2007 में टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (2007 Toronto International Film Festival) में 9 सितंबर, 2007 को प्रीमियर लांच किया गया, जो कि अमिताभ बच्‍चन की पहली अंग्रेजी भाषी फिल्‍म थी।
  • अमिताभ बच्चन अपनी जबरदस्त आवाज़ के लिए जाने जाते हैं और उनकी सफलता में उनकी आवाज का भी जबरदस्‍त योगदान रहा है लेकिन फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले, अमिताभ बच्चन ने ऑल इंडिया रेडियो में समाचार उद्घोषक, नामक पद हेतु नौकरी के लिए आवेदन किया, जिसके लिए इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
  • अमिताभ बच्चन को सन 2001 में भारत सरकार ने कला क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

अमिताभ बच्‍चन – कुछ रोचक तथ्‍य

  • अमिताभ बच्‍चन ने अपनी पहली Hit Film Zanjeer से पहले लगातार 12 Flop फिल्‍में दी थीं।
  • अमिताभ बच्‍चन की लगभग 20 से ज्‍यादा फिल्‍मों में उनके किरदार का नाम विजय था और इस नाम वाली ज्‍यादातर फिल्‍में हिट रही थीं जबकि विजय के बाद अमित नाम को सर्वाधिक फिल्‍मों में Use किया गया।
  • किसी भी अन्‍य कलाकर की तुलना में अमिताभ बच्‍चन ने सर्वाधिक फिल्‍मों में Double Roles किए हैं जबकि केवल एक फिल्‍म Mahaan में उनके Triple Role थे।
  • किसी भी अन्‍य कलाकार की तुलना में अमिताभ बच्‍चना का विभिन्‍न प्रकार के फिल्‍म पुरूस्‍कारों में सर्वाधिक बार Nomination किया गया है।
  • लाल बादशाह वह अन्तिम फिल्‍म थी, जिसमें निरूपा रॉय ने अमिताभ बच्‍चन की मां का रोल किया था जबकि अमिताभ बच्‍चन सर्वाधिक फिल्‍मों में अमिताभ की मां का रोल निरूपा रॉय ने ही किया है।
  • अमिताभ बच्‍चन की नजर में वहीदा रहमान सभी भारतीय हिरोईनों में सबसे ज्‍यादा सुन्‍दर हैं।
  • अमिताभ बच्‍चन की पुत्री Shweta का विवाह जिस Nikhil Nanda नाम के व्‍यक्ति से हुअा है, उनकी मां स्‍वर्गीय Raj Kapoor की बेटी हैं।
  • पेन व घडि़यों का Collection करना अमिताभ बच्‍चन की Hobby है।
  • सात हिन्‍दुस्‍तानी न केवल अमिताभ बच्‍चन की पहली फिल्‍म थी बल्कि ये अमिताभ बच्‍चन की इकलौती Black and White Film भी थी।

क्‍यों ठीक से सीखना जरूरी है C?

क्‍यों ठीक से सीखना जरूरी है C?

C Programming Language in Hindi - BccFalna.comC Language in Hindi: वास्‍तव में आज जितनी भी Modern Programming Languages उपलब्‍ध हैं, वे सभी “C” Language पर ही आधारित हैं। यदि आप “C” Language को अच्‍छी तरह से सीख लेते हैं, तो आपको दुनियां की किसी भी Programming Language को सीखने में ज्‍यादा समय नहीं लगता। साथ ही “C” Language पर आपकी जितनी अच्‍छी पकड होती है, उतनी ही आसानी से आप किसी भी अन्‍य Programming Language को सीख पाते हैं और ऐसा केवल इसीलिए है क्‍योंकि “C” सभी Modern Programming Languages की जननी है।
हालांकि “C” Programming Language को 1969 के आसपास Develop किया गया था, लेकिन आज भी BCA, PGDCA, MCA, व भारत सरकार के Communication Department द्वारा अधिकृत O-Level, A-Level, B-Level व M-Tech Level तक के Courses में भी “C” Language के किसी न किसी रूप को जरूर पढाया जाता है। इसलिए नहीं क्‍योंकि ये परम्‍परा है बल्कि इसलिए क्‍योंकि सभी Software व Programming Languages कहीं न कहीं “C” Language पर ही आधारित हैं। उदाहरण के लिए :
  • Windows, UNIX, Linux आदि Operating Systems, Oracle Database, MySQL, MSSQL Server, IIS, Apache Web Server, PHP आदि सभी “C” Language में ही Develop किये गए हैं।
  • Mobile Platforms, Satellite Connected Software, Set Top Box आदि के Software भी “C” Language में ही Develop किये गए हैं।
  • iPhone व iPad की के Apps को भी Objective C नाम की “C” Language में ही Develop किया जाता है।
  • सभी तरह के Embedded Software, Device Drivers व Network Drivers “C” Language में ही बनाये जाते हैं।
  • विभिन्‍न प्रकार की Programming Languages के Assemblers, Compilers, Interpreters, व विभिन्‍न प्रकार के Micro-Controllers व OS Kernels को भी “C” Language में ही बनाया जाता है।
  • ज्‍यादातर Multimedia Programs जैसे कि Games, Sound Editing Software, Video Editing Software, Animation Programs आदि को भी मूल रूप से “C” Language में ही बनाया गया है, क्‍योंकि “C” Language की Performance किसी भी अन्‍य Programming Language की तुलना में ज्‍यादा अच्‍छी होती है।
  • “C” Language ही एक ऐसी Programming Language है, जिसका प्रयोग किसी भी Computer या Digital Electronic Device के Hardware को Directly Access करने के लिए किया जा सकता है। यानी “C” Language का प्रयोग Low Level Hardware Programming के लिये भी बहुत ज्‍यादा किया जाता है।
  •  केवल “C” Language में ही ऐसी क्षमता है जो Assembly Language को Inline Assembly के रूप में उपयोग में ले सकता है व किसी भी Device के Hardware (Memory, CPU, etc…) को Directly Access कर सकता है।
यानी यदि हम चाहें तो “C” Language का प्रयोग करके ऐसे Virus Create कर सकते हैं, जो किसी Device को Permanently Damage कर दे और ये क्षमता “C” Language के अलावा और किसी भी Programming Language में नहीं है। क्‍योंकि किसी Device के Physical Architecture को Directly Access करने की क्षमता केवल “C” Language में ही है। इसलिए यदि आप I.T. Field मे है, और Programming Sector मे ही अपना Career बनाना चाहते हैं, तो “C” Language को आपको अच्‍छी तरह से सीखना ही  पडेगा।
उपरोक्‍त Discussion से ये सारांश न निकालें कि “C” Language केवल Hardware Level Programmingके लिए ही उपयोगी है। वास्‍तव में “C” Language किसी भी अन्‍य Programming Language की मां की तरह है, इसलिए यदि “C” Language को ठीक से नहीं समझा, तो आप कभी भी अच्‍छे Software Developer नहीं बन सकते।
क्‍योंकि “C” Language केवल एक Programming Language ही नहीं है, बल्कि ये एक ऐसी Language है, जो आपको Computer या Hardware की भाषा में सोंचना व समझना सिखाती है और जब तक आप Hardware की भाषा में सोंचना व समझना नहीं सीखते, तब तक आप ये नहीं जान सकते कि वास्‍तव में कोई मशीन किस तरह से काम कर रही है और किसी Program द्वारा उसे कैसे Control किया जा सकता है। फिर भले ही वह मशीन आपका Computer System हो या आपका Mobile Phone या आपका Calculator.
“C” Programming Language को आसानी से सीखने के लिए हमने “C Programming Language in Hindi” पुस्‍तक तैयार की है, जो आपको Step by Step न केवल Programming सिखाती है, बल्कि आपको ये भी बताती है कि कोई Program किस तरह से किसी मशीन को कोई Specific काम करने के लिये Instruct करता है और वह मशीन उस प्रोग्राम के आधार पर आपका मनचाहा काम करने लगती है।
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महंगाई से बचना है, तो Home Budget बनाईए।

महंगाई से बचना है, तो Home Budget बनाईए।

What is the Purpose of a Budget – जो व्‍यक्ति बजट बना लेते हैं, उन्‍हे एक तरह से अपने Financial Futureकी Advance Planning करने में मदद मिल जाती है।
अर्थात् उन्‍हे इस बात का पता चल जाता है कि उन्‍हे भविष्‍य में कब और क्‍या Financial Goal Achieve करना है, उस Goal को Achieve करने के लिए उन्‍हें आय कहाँ से और कितनी प्राप्‍त होगी, फिर उस आय को किस तरह से निवेश (Invest) करके ज्‍यादा से ज्‍यादा Profit कमाना है, ताकि भविष्‍य के उस Goal को समय रहते हासिल किया जा सके।
क्‍योंकि जो व्‍यक्ति बजट बनाते हैं, उन्‍हे अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में इस बात का अंदाजा हो जाता है कि उनके पास जो आय हो रही है, कहीं उससे ज्‍यादा तो उनके खर्चें नहीं है, अर्थात् उनकी Financial Condition घाटें में तो नहीं है और यदि उनकी Financial Condition घाटे में चल रही हो, तो वे समय रहते उस पर Control करने की स्थिति में होते हैं।
बजट के अनुसार काम करने वाले व्‍यक्ति को अपने खर्च की प्राथमिकता तय करना आसान हो जाता है क्‍योंकि उन्‍हे इस बात का पता होता है कि उनकी आय कहाँ से व कितनी हो रही है एवं उनकी आय के सामने उनके खर्चें कौनसे और कितने हैं। अगर खर्चों का आय पर आधिक्‍य है, तो वे उन खर्चों को प्राथमिकता दे सकते हैं जो ज्‍यादा जरूरी है और जिनके बिना रहना नामुमकिन है। साथ ही उन्‍हें अपने गैरजरूरी खर्चों के बारे में पता चल जाता है जिनमें कटौती करके वे अपने जरूरी खर्चों को बेहतर तरीके से Manage कर पाते हैं।
बजट बनाने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि बजट बनाकर काम करने वाला व्‍यक्ति बचत करने के बारे में सोंचने लगता है, बचत करने की कोशिश करने लगता है और Financially Literate होकर वह उस बचत को किसी अच्‍छी जगह निवेश(Invest) करने की Planning कर सकता है, जिससे वह अपनी इच्‍छानुसार अपना Financial Future व Financial Freedom का समय यानी अपने Financial Retirement का समय तय करता है।
ऐसे व्‍यक्ति जो किसी Professional काम में लगे हुए हैं, उनको बजट बनाने से अपनी आमदनी और खर्च का सही अंदाजा मिल जाता है, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।
बजट बनाने से न केवल नौकरीपेशा, व्‍यवसायी लोगों को ही फायदा होता है, बल्कि बजट बनाने से घरेलू महिलाओं को घर चलाने में भी बहुत सहायता मिलती है। क्‍योंकि बजट के माध्‍यम से उन्‍हे इस बात का अंदाजा रहता है कि उन्‍हें घर चलाने के लिए प्रतिमाह कितने रूपए दिए जाते हैं, और किस तरह से उसका सही जगह पर सही सामान खरीदने के लिए उपयोग करना है।

बचपन में ही डालें बजट बनाने की आदत

बजट केवल बड़ों को ही बनाना चाहिए, ऐसा नहीं है बल्कि बजट बनाने की कला बच्‍चों को बचपन से ही सिखाई जानी चाहिए, ताकि वे बच्‍चे, जो बहुत अधिक पैसे खर्च करते हैं, वे भी पैसों के महत्‍व को समझ सकें व जान सकें कि अपनी Pocket Money को वे जिस तरह की चीजों के लिए खर्च करते हैं, वे चीजें उनके लिए जरूरी हैं या गैरजरूरी।
यानी आप यदि अपने बच्‍चों को प्रतिमाह Pocket Money के रूप में कुछ Amount देते हैं, तो उनसे उनके द्वारा किए जाने वाले खर्चों का पूरा लेखा (Account) मांगिए और अगली Pocket Money Installment तभी दीजिए, जबकि वे अपनी पिछली Pocket Money के सम्‍पूर्ण खर्च का उपयुक्‍त ब्‍यौरा दें। साथ ही अगली Pocket Money Installment देने से पहले आप स्‍वयं उस लेखा को Check कीजिए और उसमें जो भी खर्चे आपको गलत लगें, उनके बारे में अपने बच्‍चों को Guide कीजिए कि किस तरह से उस गलत खर्च से बचा जा सकता था।
यदि आप ऐसा करेंगे, तो आपके बच्‍चे अपनी Pocket Money खर्च करते समय इस बात का ध्‍यान रखेंगे कि उन्‍हें अगली Pocket Money प्राप्‍त करने के लिए हिसाब देना पड़ेगा। परिणामस्‍वरूप वे स्‍वयं सही व गलत खर्चों के बारे में समझने लगेंगे और आप अपने बच्‍चों को बचपन से ही अप्रत्‍यक्ष रूप से Financially Educate करने में अपना महत्‍वपूर्ण Role Play करेंगे, जो कि वर्तमान समय में भारत के लगभग 99.99% लोग नहीं करते।
यदि किसी महीने आपके बच्‍चे आपसे Pocket Money से ज्‍यादा पैसों की मांग करते हैं, तो उन्‍हें वो पैसा कर्ज के रूप में दीजिए, और अगली Pocket Money Installment देते समय उतना पैसा कम दीजिए, जो आपने कर्ज के रूप में उन्‍हें Advance दे दिया है। यदि आप ऐसा करेंगे, तो पैसों के सम्‍बंध में आपके बच्‍चों की समझ बढ़ेगी और भविष्‍य में जब वे बड़े होंगे, तब भी उन्‍हें इस बात का पता रहेगा कि यदि उन्‍होंने अपनी आय से अधिक खर्च किया, तो उन्‍हें कर्ज लेना पड़ेगा और अगले महीने उस कर्ज को चुकाना भी पड़ेगा जिससे उनका अगला महीना और अधिक आर्थिक तंगी में गुजरेगा।
इस तरह से बजट के माध्‍यम से बच्‍चों को अपनी Pocket Money की Planning करने में मदद मिलेगी जो जिन्‍दगीभर उन्‍हें Personal Financial Management करने में मदद करेगी।
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Constitution of India in Hindi – कैसे बना भारत का संविधान?


Constitution of India in Hindi – कैसे बना भारत का संविधान?


आजादी पा लेना ही पर्याप्‍त नहीं हैं, जब तक कि हमारे स्‍वयं के नियम व कानून हमारे देश को संचालित न कर रहे हों।इसलिए बनाया गया, भारत का खुद का संविधान, जिसे बनाने में भारत को बहुत सी अड़चनों का सामना करना पड़ा।
भारत का संविधान, देश के आजाद होने से कई साल पहले से ही बनना प्रारम्‍भ हो गया था। 1857 की क्रान्ति के बागी सिपाहियों ने भी हिन्‍दुस्‍तान के संविधान को बनाने की कोशिश की थी लेकिन उनका विद्रोह समाप्‍त हो जाने के कारण वे यह कार्य पूरा नही कर पाए।
1935 में अंग्रेजो ने एक Government of India Act बनाया था, जो कि भारतीयों की उम्‍मीदों से न केवल बहुत ही कम था बल्कि उनकी सोंच से बिलकुल अलग भी था और इसी कारण कांग्रेस और मुश्लिम लीग के बीच दूरी होने लगी।
दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान 1945 में डॉ. तेज बहादुर सप्रु ने सभी पार्टीयों की सहमति से संविधान का एक प्रारूप बनाया। आजाद हिन्‍द फौज और भारत छोड़ो आन्‍दोलन के कारण अंग्रेजो का भारत पर हमेंशा राज करने का सपना टूट चुका था। इसी दौरान प्रधानमंत्री वीस्‍टन चरचील चुनाव हार गए और नए प्रधानमंत्री क्‍लेमेन्‍ट अट्टेली ने तुरन्‍त ही भारत के नये संविधान और मुश्लिम लीग को अलग अधिकार देने पर कार्य शुरू करवाया और इसी के चलते उनके केबिनेट के तीन मंत्री की एक टीम भारत भेजी गई, जिसे Cabinet Mission कहा गया।
शिमला में बैठक शुरू हुई और कांग्रेस की तरफ से उनके अध्‍यक्ष मौलाना आजाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्‍लभाई पटेल और खान अब्‍दुल गफ्फर खाँ और मुश्लिम लीग से जिन्‍ना, लीयाकत अली खाँ, सरदार नीशतर और नवाब ईस्‍माईल खाँ तथा रजवाड़ों की ओर से मौजूद थे भोपाल के नवाब मोहम्‍मद हमीदुल्‍लाह। इस बैठक का कोई निश्‍कर्ष नहीं निकला। Cabinet Mission असफल हो गया, परन्‍तु दोबारा से बात चीत हुई और एक महीने बाद 16 जून 1946 को यह प्रस्‍ताव सामने आया कि दोनों देशों को बाँट दिया जाए। इस प्रकार से नया संविधान बनना तय हुआ।
9 दिसंबर 1946 को पहली बार एकत्रित हुई भारत की संविधान सभा, जिसमें सभी नेता मौजूद थे, सिवाय महात्‍मा गाँधी और कायदे-ऐ-आजम मोहम्‍मद अली जिन्‍ना। संविधान सभा ने डॉ. सच्‍चीदानन्‍द को कार्यकारी अध्‍यक्ष चुना क्‍योंकि वे सबसे ज्‍यादा सीनियर थे और इस सभा के स्‍थाई अध्‍यक्ष के रूप में डॉ. राजेन्‍द्रप्रसाद को चुना गया।
13 दिसंबर 1946 को जवाहर लाल नेहरू ने संविधान की नींव के रूप में लक्ष्‍य और उद्देश्‍य को सामने रखा। उन्‍होंने संविधान का एक पूरा का पूरा खाका तैयार कर दिया था, जिसके अन्‍तर्गत सम्‍पूर्ण भारत के सभी रजवाड़ों की रियासत को समाप्‍त करते हुए उन्‍हें भारतवर्ष का हिस्‍सा बना देने का प्रस्‍ताव था। 22 जनवरी 1947 को संविधान के इस सबसे महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव को पास कर दिया गया, जिसका जिन्‍ना और रजवाड़ो ने विरोध किया।
सभी की सहमति पाना मुश्किल काम था परन्‍तु अप्रेल 1947 के अन्‍त तक संविधान सभा की दूसरी बैठक में बहुत से राजा कांग्रेस से सहमत हो गए थे। 3 जून 1947 यह घोषणा कर दी गई की भारत, पंजाब और बंगाल का विभाजन होगा। 14 जुलाई 1947 को जब संविधान सभा मिली तो उसमें मुश्लिम लीग के लोग भी मौजूद थे परन्‍तु वे वो लोग थे जो बटवारें के बाद भी भारत में ही रहने वाले थे। इसी सभा में नेहरू जी द्वारा हमारे देश के नये परचम (झण्‍डा) तिरंगे को प्रस्‍तुत किया जिसका सम्‍पूर्ण संविधान सभा ने समर्थन किया।
देश दो भागों में विभाजित हो गया। अनेक क्रान्तिकारियों की ब‍ली चढ़ जाने के बाद आखिरकार वह दिन आ गया 15 अगस्‍त 1947, जिस दिन को हम स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। उस दिन भी देश के सभी देशवसियों ने इस पर्व को मनाया। सभी जाने माने लोग राजधानी दिल्‍ली में मौजूद थे सिवाय एक के और वह थे महात्‍मा गाँधी, क्‍योंकि वे कलकता में हिन्‍दु-मुश्लिम के दंगो को रोकने का प्रयास कर रहे थे। परन्‍तु अभी पूरी तरह से देश आजाद नहीं हुआ था क्‍योंकि भारत का संविधान अभी पूरी तरह से नहीं बनकर लागू नहीं हुआ था।
देश का विभाजन हुआ और देश आजाद भी हो गया, अब देश के पास केवल एक ही मुद्दा था देश का संविधान, जिसके लिए सात सदस्‍यों की एक कमेटी का गठन किया गया, जिसमें ए. कृष्‍णास्‍वामी अय्यर, एन गोपाल स्‍वामी अयंगर, डॉ. बी आर अम्‍बेडकर, के एम मुंशी, सैयद मोहम्‍मद साहदुल्‍लाह, बी एल मित्तर, डी. पी. खैतान आदि थे और इस कमेटी के अध्‍यक्ष थे डॉ. बी. आर. अम्‍बेडकर
इन सातों ने मिलकर संविधान पर काम शुरू किया। कई मुद्दों पर सभी की राय एक जैसी होती थी लेकिन जब किसी मुद्दे पर सभी की राय एक जैसी नही होती थी, तो उस स्थिति में मतदान करवाया जाता था और इस मतदान से जिस पक्ष में ज्‍यादा मत होते थे, उस पक्ष को मान लिया जाता था।
21 अप्रेल 1947 को Fundamental Rights Committee की अन्‍तरिम रिपोर्ट को सदन में पेश किया गया। कई लोगों को यह प्रस्‍ताव बिलकुल पसंद नहीं आया। इसके बाद और भी दूसरे कानून आए, जैसे हथियार कौन रखेगा और कौन नहीं, जिसमें सिखों को कुछ हथियार रखने की छूट दी गई। इस पर भी काफी विवाद हुआ। इसके बाद में नशे से सम्‍बन्धित कानून को जोड़ने के लिए अपील की गई, जिसमें शराब आदि नशे पर सख्‍त कानून बनाने को कहा गया, लेकिन कुछ लोग इसके लिए खिलाफ थे तो कुछ पक्ष में भी थे।
अनेक प्रकार के कानून बनने के बाद अब बात आई कि “देश की भाषा कौनसी होगी।” उसी पर बहस छिड़ गई। पंडित नेहरू चाहते थे कि हिन्‍दुस्‍तानी ही राष्‍ट्र भाषा बने और महात्‍मा गाँधी ने भी अपनी मृत्‍यु से पहले एक हरिजन नामक अखबार में यह कहते हुए अपनी इच्‍छा जाहिर की थी कि हिन्‍दुस्‍तान की भाषा पूरे देश की राज्‍य भाषा के शब्‍दों से मिलाकर बने। कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में यह प्रस्‍ताव रखा गया कि भारत की राष्‍ट्र भाषा हिन्‍दुस्‍तानी होगी, तो कईयों ने कहा कि भारत की राष्‍ट्रभाषा हिन्‍दीहोगी।
मतदान हुआ और 32 मत हिन्‍दुस्‍तानी भाषा को मिले, वहीं 63 मत हिन्‍दी को मिले। इस प्रकार हिन्‍दी भाषा को ही राष्‍ट्र भाषा मान लिया गया लेकिन केवल इतना ही नहीं, अभी उसे संसद से मंजूरी नही मिली थी। बहस केवल भाषा को ले‍कर ही नही बल्कि संख्‍याओं के‍ चिन्‍ह को लेकर भी चल रही थी। बहुत देर बहस चलती रही, इसके बाद कांग्रेस की एक बैठक में गरम दल और नरम दल के नेताओ ने मिलकर हिन्‍दी भाषा को अपना लिया और बड़ी ही मुश्किल से हिन्‍दी भाषा और संख्‍याओं के कानून को पारित कर लिया गया।
अथक मेहनत, कई संशोधन, अनेक कठिनाईयों का सामना करके, अनेक बहसों के बाद, बहुत सी मुश्किलों को पछाड़ कर पूरे 2 साल 11 महीने 18 दिन बाद डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर और उनकी कमेटी ने एक बहुत ही बड़ा काम कर दिखाया था। अब हमारे पास हमारा खुद का संविधान था, हमारे खुद के नियम व कानून थे, और सही मायने में हमारा देश भी आजाद हो चुका था।
संविधान के आईन को 1950 से लेकर अब तक लगभग 100 बार बदला जा चुका है। जब इसका निर्माण किया गया था तब इसमें 395 अनुच्‍छेद, 8 अनुसूचियां व 22 भागों में विभाजित थे। जो अब बढ़कर 465 अनुच्‍छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भागों में विभाजित हो गए हैं।
24 जनवरी 1950 को इस संविधान पर सभी सदस्‍यों के हस्‍ताक्षर हुए और नए गणतंत्र देश के सबसे पहले राष्‍ट्र‍पति, डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद का चुनाव हुआ। साथ ही इसी दिन जन गण मन” को हमारे देश का राष्‍ट्रगान और वन्‍दे मातरम्” को राष्‍ट्रगीत के लिए अपनाया गया।
इस तरह से आखिरकार 26 जनवरी 1950 को वो दिन भी आ ही गया, जब हमारे भारतवर्ष को भारतीयों द्वारा भारत के लिए बनाया गया हमारा खुद का संविधान प्राप्‍त व लागू हुआ।
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खेल, खेल ही रहे, युद्ध न बने KULDEEP SHARMA

खेल, खेल ही रहे, युद्ध न बने

Hindi Kahaniya with Moral – एक समय की बात है। एक पहलवान योद्धा, जिसे लोग बलवीर के नाम से जानते थे, पहलवानी करता था।
उसे पहलवानी का बहुत ज्ञान था इसलिए उसने एक स्‍कूल खोला, जिसमें वह लोगों को पहलवानी सिखाया करता था और उसके स्‍कूल में पहलवानी सीखने काफी लोग आते थे।
बलवीर एक दयालु और नेक दिल आदमी था। वह हमेंशा सबकी सहायता करता था। यहां तक कि वह कुश्‍ती करके जो कुछ भी ईनाम स्‍वरूप धन कमाता था, वह भी लौगों को बांट देता था अथवा किसी की जरूरत को पूरा कर देता था।
वैसे तो बलवीर जब जवान था, तब वह कई बार पहलवानी की प्रतियोगिताओं में विजयी हुआ था लेकिन अब वह बूढा हो चुका था, इसलिए अब उसने पहलवानी करना छोड दी थी।
एक दिन की बात है, एक विदेशी पहलवान, जिसने बलवीर की कुश्‍ती के बारे में बहुत सुना था, उसके साथ कुश्‍ती करने के लिए उसके गाँव आ गया और अपने साथ कुश्‍ती करने के लिए ललकारा। लेकिन बलवीर बडे ही शांत स्‍वभाव से उस विदेशी को अपने आतिथ्‍य गृह में ले गया और आराम करने के लिए कहा। विदेशी नौजवान बड़ा  हस्‍ठ-पुस्‍ठ था। वह कभी किसी कुश्‍ती में नही हारा था, जिसका उसे बहुत घमण्‍ड था और इसी घमण्‍ड के कारण विदेशी ने बलवीर से कहा-
बलवीर… मैं यहां तुम्‍हारे देश में आराम करने के लिए नहीं आया हुँ, बल्कि तुमसे कुश्‍ती करने आया हुँ।
बलवीर ने बडे ही शांत स्‍वभाव से कहा-
मैं तो बूढा हो चला हुँ और मैने कुश्‍ती छोड़ भी दी है। मैं तुमसे क्‍या कुश्‍ती करू? मैं तो केवल अब कुश्‍ती सिखाता हुँ।
लेकिन विदेशी को लग रहा था की बलवीर उससे डर रहा है, इसलिए उससे कुश्‍ती करना नही चाहता। फलस्‍वरूप उसका अंहकार और बढ़ गया। वह बलवीर से बार-बार यही कह रहा था कि या तो मुझसे कुश्‍ती करो या हार मान लो। विदेशी ने एक बार फिर से कहा-
बलवीर… मैं सारी दुनिया से कुश्‍ती कर आया हुँ और सभी को मैने हार का रास्‍ता दिखा दिया है। केवल तुम ही बचे हो। तुम्‍हे हराने के बाद मैं विश्‍व विजेता बन जाउंगा।
विदेशी की ये बात सुन कर बलवीर के एक शिष्‍य ने कहा-
गुरूदेव… अगर आप आज्ञा दें, तो मैं इस विदेशी को अभी धूल चटाकर इसका सारा घमन्‍ड उतार देता हुँ।
बलवीर ने शिष्‍य को समझाया कि-
कभी क्रोध नहीं करना चाहिए। कौध और अंहकार ही ऐसे दो तत्‍व हैं जो मनुष्‍य के नाश का कारण होते हैं।
लेकिन विदेशी ने ठीक उसी समय बलवीर पर हमला कर दिया और बलवीर ने अपनी सजगता से एक ही पटकनी मैं विदेशी को धुल चटा दी। फिर दूसरी पटकनी में उसे दंगल से बाहर फैंक दिया। ए‍क बार तो विदेशी के होश ही उड़ गए। वह समझ ही नहीं पाया कि हुआ क्‍या? उसे तो चक्‍कर आने लगे थे। जब वह उठा और थोडा बहुत होश में आया तो उसने सुना कि बलवीर के शिष्‍य जय गुरू देव जय गुरू देव के नारे लगा रहे थे। विदेशी, बलवीर के पास आया और कहने लगा-
बलवीर… मैने तुम पर हमला किया लेकिन मैं ही बेहोश हो गया, ये कैसे हुआ?
बलवीर ने कहा-
हे मित्र… कुश्‍ती,  एक खैल है न कि कोई युद्ध। इसे खेल समझ कर खेलो, जिससे तुम्‍हारा भी मनोरंजन हो सके और लोगों का भी।
तुमने छल से मुझ पर हमला किया और छल से किया हुआ सारा काम अन्‍याय ही होता है। इसका मतलब ये हुआ कि तुम विश्‍व विजेता बनने के लिए केवल मात्र कपट का ही सहारा ले रहे हो।
दंगल, मेरे लिए मंदिर है और तुम्‍हारे लिए युद्ध का मैदान।
विदेशी को अपने किये हुए पर बड़ा पछतावा हुआ और उसने शर्मिन्‍दा होते हुए बलवीर से माफी मांगी। विदेशी ने बलवीर से कहा-
बलवीर… आप सही कह रहे हो। मुझे तो इस बात का दंभ था कि मैं आपको हरा कर विश्‍व विजेता बन जाउंगा। लेकिन आप तो मुझे ही हराकर विश्‍व विजेता बन गए। मैं आपको प्रणाम करता हुँ 
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इस कहानी का Moral ये है कि खेल को खेल की तरह ही खेलना चाहिए न कि जीतने की लालसा में युद्ध की तरह, क्‍योंकि युद्ध मे हमेंशा नुकशान ही होता है।
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तीन पहलवान औरतें

तीन पहलवान औरतें kuldeep sharma

                                                   तीन पहलवान औरतें






















comedy